कोयला तस्करी का बदल गया तरीका , अब ट्रकों की जगह ऑटो से हो रही है तस्करी; दिन में भी धड़ल्ले से तस्करी

Anil kumar
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कोयला तस्करी: बोकारो में खदानों से कोयला तस्करी रुक नहीं रही है। अवैध कारोबार और परिवहन धड़ल्ले से जारी है। तस्करों ने तरीका बदल दिया है, अब ट्रकों की जगह ऑटो से कोयला ले जाते हैं। अब रात के बजाय दिन में भी कोयला तस्कर बेखौफ परिवहन कर रहे हैं।

बेरमो। कोयला तस्करी: कोयलांचल की खदानों से कोयला तस्करी रुक नहीं रही है। इसका अवैध कारोबार और परिवहन धड़ल्ले से चल रहा है। तस्करों ने चोरी का तरीका और रास्ता थोड़ा बदल दिया है। सीसीएल ढोरी, बीएंडके और कथारा की कई खदानों के पास तस्करों का अड्डा है, और वे आधी रात को सक्रिय हो जाते हैं।

तीन पहिया टैंपो या छोटा हाथी से कोयला तस्करी

चुनावी मौसम में हर जगह बैरिकेडिंग और गश्ती दल सक्रिय हैं, फिर भी चोरी नहीं रुक रही। मुख्य सड़कों पर भी चोरी के कोयले से भरे वाहनों का आवागमन जारी है। अब रात के साथ दिन में भी कोयला तस्कर बेखौफ परिवहन कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार, पिछले कुछ महीनों में ट्रकों से कोयला चोरी के मामले कम हुए हैं, लेकिन अब उनकी जगह तीन पहिया टैंपो या छोटा हाथी ने ले ली है।

यहां हर रात नौ-दस बजे के बाद कोयला से भरे टैंपो सड़कों पर चलते देखे जा सकते हैं। इस चोरी से सीसीएल को राजस्व का नुकसान हो रहा है, और प्रशासन पर भी मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं।

तस्करों का नया तरीका, अब ट्रकों की जगह टैंपो से तस्करी

दो महीने पहले कोयला तस्करी को लेकर डीएसपी के नेतृत्व में कुछ जगहों पर छापेमारी की गई थी और भारी मात्रा में कोयला और वाहन जब्त किए गए थे। धंधेबाजों पर मामला भी दर्ज किया गया था।

सूत्रों के अनुसार, ट्रकों और भारी वाहनों के पकड़े जाने के डर से अब तस्करों ने टैंपो और छोटे हाथियों का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। लोगों को शक न हो, इसलिए टैंपो में कोयला की बोरियों को कपड़े या अन्य चीजों से ढक दिया जाता है।

सूत्रों के मुताबिक, हर रात नौ-दस बजे के बाद बेरमो-फुसरो मुख्य मार्ग और बेरमो-कथारा-ऊपरघाट, गोमिया आदि सड़कों पर सौ से अधिक टैंपो से चोरी का कोयला निर्धारित स्थलों पर पहुंचाया जा रहा है।

जंगलों में स्टॉक कर, फिर वाहनों से तय जगह पहुंचाते

सूत्रों के अनुसार, कोयलांचल में खदानों के पास के जंगलों में चोरी का कोयला स्टॉक कर रखा जाता है। स्टॉक ज्यादा होने के बाद, देर रात को ट्रक या भारी वाहनों में लादकर चोरी-छिपे ग्रामीण रास्तों से होते हुए डुमरी जीटी रोड तक पहुंचाया जाता है। वहां से ये वाहन बिहार या उत्तर प्रदेश की सीमा तक भेज दिए जाते हैं।

इस काम में कोयला चोरों का पूरा रैकेट शामिल होता है, जो गांव से लेकर जीटी रोड तक फैला रहता है और तस्करों को हर पल की जानकारी देता है। सूत्रों के अनुसार, टैंपो कई थाना क्षेत्रों से होकर मुख्य मार्गों से गुजरते हैं, लेकिन साठ-गांठ के कारण कोई कार्रवाई नहीं होती। इससे कोयला चोरी का धंधा रुकने के बजाय बढ़ता जा रहा है।

तस्करी की सूचना देने वालों को मिलेगा पुरस्कार, पर कौन देगा?

अधिकारियों के मुताबिक, अगर कोई कोयला चोरी की सूचना देता है और तस्करों को पकड़वाता है, तो प्रबंधन द्वारा उसे इनाम दिया जाएगा। परंतु सवाल यह है कि जब तस्कर सुरक्षा जवानों पर हमला कर सकते हैं, तो तस्करी की सूचना देने वालों की सुरक्षा की क्या गारंटी है। इसी कारण, लोग कोयला तस्करी को देखकर भी चुप्पी साधते हैं।

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मेरा नाम Kumar Anil है और मैं झारखण्ड के बोकारो जिले का निवासी हूँ। मैंने 2023 में कंटेंट राइटिंग की शुरुवात किया था। मुझे झारखण्ड के लोकल न्यूज़ पढ़ना और उनके बारे लिखने का शौक है।
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