रांची राष्ट्रीय चिकित्सा विज्ञान संस्थान (रिम्स) को सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स नहीं मिल रहे हैं। हाल ही में इनके लिए आयोजित इंटरव्यू में 30 विभागों में कोई उम्मीदवार नहीं आया। जहां उम्मीदवार पहुंचे, वहां भी केवल 31 सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर का ही चयन हुआ, और 54 पदों में से 23 पद खाली रह गए। डेंटल विभाग में भी स्थिति खराब रही।
रांची में अनुज तिवारी की रिपोर्ट: राज्य के प्रमुख इंस्टीट्यूट रिम्स में सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर्स की कमी हो रही है। हाल ही में इनकी बहाली के लिए किए गए साक्षात्कार में 30 विभागों में कोई भी उम्मीदवार नहीं आया। जिन विभागों में उम्मीदवार पहुंचे, वहां से 54 पदों में से 23 पद रिक्त रह गए हैं, और केवल 31 सीनियर रेजिडेंट का चयन हुआ।
रिम्स के विभिन्न विभागों में 150 पदों की बहाली होनी थी, लेकिन साक्षात्कार के लिए केवल 65 उम्मीदवार पहुंचे। दूसरी ओर डेंटल कॉलेज के आठ विभागों में से 10 पदों की बहाली की जानी थी, लेकिन केवल तीन विभागों में से ही 18 उम्मीदवार पहुंचे।
160 पदों के लिए 83 उम्मीदवार साक्षात्कार में हुए शामिल
कुल मिलाकर देखा जाए तो 160 पदों के लिए रांची इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स) में साक्षात्कार के लिए केवल 83 उम्मीदवार ही आए। ये उम्मीदवार मेडिकल में पीजी की पढ़ाई पूरी करने के बाद सीनियर रेजिडेंट (एसआर) के लिए योग्य थे, लेकिन छात्रों की इस प्रकार की कम रुचि के बारे में चिंता है।
एनएमसी के नियमों के अनुसार, अगर पीजी के बाद सीनियर रेजिडेंट (एसआर) शिप नहीं की जाती, तो उनका फैकल्टी बनना मुश्किल हो सकता है। इसके साथ ही उनकी कमी की वजह से अस्पताल के सीनियर डाक्टरों के वर्क लोड में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे मरीजों के इलाज में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। प्रबंधन ने बताया कि कुछ विभागों के रोस्टर क्लियर न होने के कारण साक्षात्कारों को फिर से लेने की योजना बनाई गई है।
राज्य के छह मेडिकल कालेजों में से सभी विषयों में पीजी की पढ़ाई सिर्फ रिम्स में होती है, जबकि जमशेदपुर मेडिकल कॉलेज में कुछ विषयों में पीजी की पढ़ाई शुरू की गई है। रिम्स से पीजी करने वाले जूनियर डाक्टर एसआर के लिए आवेदन करने की संभावना ही नहीं है।
सरकारी नियमों के अनुसार, पीजी के बाद इन छात्रों को तीन वर्षों तक गांवों में सेवा देनी होती है, जो अनिवार्य है। अगर ये सेवा नहीं करते हैं तो उन्हें करीब 60 लाख रुपये का आर्थिक दंड देना पड़ता है। ऐसी स्थिति में इन छात्रों को अपने संस्थान से एसआर पद के लिए ज्चाइन नहीं करने की समस्या होती है।
इस समस्या के सामने रिम्स के पास झारखंड में ऐसा कोई और मेडिकल कॉलेज नहीं है, जहां से एसआर के लिए छात्र मिल सकें। कुछ विभागों के लिए जमशेदपुर से छात्र आते हैं, लेकिन बिहार से छात्रों की संख्या कम होती है। कुछ डॉक्टरों का कहना है कि रिम्स की प्रसिद्धि कम होने के कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न होती है।
इससे देश के विभिन्न मेडिकल कालेजों से पीजी करने वाले छात्र यहां पर एसआर पद के लिए कम दिलचस्पी दिखाते हैं। उन्हें लगता है कि इस जगह पर काम करने से उनका मूल्यांकन कम हो सकता है। वे लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, पटना जैसे मेडिकल कालेजों में काम करने पर अधिक प्रसिद्धि मिलेगी।
रिम्स के पीआरओ डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि इसी वजह से एनाटामी विभाग में छह एसआर की आवश्यकता थी, लेकिन केवल एक उम्मीदवार ही आया। इस तरह से अब पांच सीटें खाली रह गई हैं। वहीं, रिम्स से पीजी करने वाले छात्रों को बांड के तहत उन सदर अस्पतालों में ड्यूटी दी जा रही है, जहां एनाटामी की आवश्यकता तक नहीं है।
किन मुख्य विभागों में एसआर नहीं आए?
मेडिसिन, नेफ्रोलॉजी, मानसिक स्वास्थ्य, आर्थोपेडिक्स, और अन्य विभिन्न विभाग शामिल हैं। साक्षात्कार के लिए सबसे ज्यादा उम्मीदवार गायनी विभाग में आए थे, जहां सात पदों पर एसआर का चयन हुआ।
पीएसएम विभाग में तीन पदों पर भर्ती हुई, ब्लड बैंक में भी एक ही पद पर चयन हुआ। इस तरह से केवल तीन विभाग हैं जहां पूरी तरह से बहाली हुई।
यह भी पढ़े:
- आरएसएस रांची बैठक: प्रांत प्रचारकों की आज आखिरी बैठक, कई विषयों पर हुई चर्चा; लिया गया यह महत्वपूर्ण निर्णय
- हेमंत सोरेन: दिल्ली से वापस आने के बाद बनारस की सड़कों पर घूमे, पत्नी के साथ मंदिरों में भी गये
- झारखंड समाचार: नक्सलियों और सुरक्षा बलों के बीच लड़ाई, गोलियों के बाद नक्सली भागे; तलाश अभियान है जारी
- धनबाद समाचार: सरकारी स्कूल के बच्चों के लिए आयोजित होगी नेत्र जांच, मुफ्त में होगा चश्मा उपलब्ध; विभाग ने तेज की तैयारी