जांच में पाया गया कि झारखंड ग्रामीण विकास विभाग में टेंडर के दौरान कुल लागत का एक निश्चित प्रतिशत कमीशन के रूप में वसूला जाता है। इसमें अधिकारियों, मंत्री और अन्य राजनीतिज्ञों को कमीशन मिलता है।
रांची: झारखंड के ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी हुई है। राज्य के महाधिवक्ता अभियुक्त के पक्ष में न्यायालय में दलील देते हैं। इडी के अफसरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराने के सबूत निदेशालय के पास हैं। अवैध खनन की जांच के दौरान याचिकाकर्ता हेमंत सोरेन का नाम भी सामने आया था। कमीशनखोरी में आइएएस अधिकारी राजीव अरुण एक्का शामिल हैं। सरकार के साथ इडी ने सभी तथ्यों को साझा किया, लेकिन सरकार ने किसी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की। इडी ने हेमंत सोरेन की याचिका का जवाब सुप्रीम कोर्ट को दिया है।
शपथ पत्र के अनुसार ग्रामीण विकास विभाग की जांच के दौरान मुख्य अभियंता बीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया गया था। उसके बाद विभाग में जारी कमीशनखोरी की पूरी प्रक्रिया की जानकारी मिली। जांच में पाया गया कि कमीशन में ग्रामीण विकास में टेंडर के दौरान कुल लागत का एक निश्चित प्रतिशत कमीशन के रूप में वसूला जाता है, जिसमें अधिकारियों, मंत्री और अन्य राजनीतिज्ञों को कमीशन मिलता है। इडी ने मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल और आप्त सचिव के सहयोगी जहांगीर के यहां छापेमारी में 32.20 करोड़ रुपये जब्त किए हैं। शपथ पत्र में कहा गया है कि ग्रामीण विकास विभाग में 3000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी हुई है।
राजीव अरुण एक्का का भी किया उल्लेख:
सुप्रीम कोर्ट में दायर शपथ पत्र में भूमि घोटाला और कमीशनखोरी के मामले में मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का का भी जिक्र है। इसके अनुसार, विशाल चौधरी ने बाजार मूल्य से पांच से दस गुना अधिक मूल्य पर सामग्री बेची। राजीव अरुण एक्का इसका कमीशन लेते थे, जिसे उनके परिवारिक सदस्यों के खातों में जमा किया जाता था। शपथ पत्र में फर्जी दस्तावेज के आधार पर जमीन की खरीद-बिक्री के मामले की चर्चा की गई, जिसमें हेमंत सोरेन द्वारा जमीन पर अवैध कब्जा किया गया था। जांच के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया था और उनके आवास से लग्जरी कार और नकद राशि जब्त की गई थी। शपथ पत्र में कहा गया कि पीएमएलए की धारा-66(2) के तहत मनी लाउंड्रिंग से संबंधित सूचनाएं साझा की गई थीं, लेकिन सरकार द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई। इसके अलावा, प्रेम प्रकाश के घर से जब्त एके-47 के मामले में भी पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई।
अवैध खनन की जांच में 1000 करोड़ रुपये के मामले में याचिकाकर्ता का नाम आया सामने
इडी ने दायर शपथ में बताया कि 1000 करोड़ रुपये के अवैध खनन की जांच के दौरान याचिकाकर्ता का नाम सामने आया है। उनके विधायक पंकज मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व कोषाध्यक्ष रवि केजरीवाल ने जांच के दौरान बयान दिया है कि हेमंत सोरेन के निर्देश पर अवैध खनन से मिली राशि प्रेम प्रकाश के माध्यम से अमित अग्रवाल को दी गई है।
जांच में पता चला कि 100 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का 40 शेल कंपनियों में निवेश किया गया है, जिन पर अमित अग्रवाल का नियंत्रण है। हेमंत सोरेन को दो बार समन भेजा गया है और उनका बयान भी दर्ज किया गया है। याचिकाकर्ता (हेमंत सोरेन) द्वारा अपने विधायक प्रतिनिधि के माध्यम से साहिबगंज में माइनिंग लीज, कंसेंट टू ऑपरेट को नियंत्रित किया जाता है।
याचिकाकर्ता ने सरकारी मशीनरी का उपयोग करके इडी के एक गवाह के खिलाफ पहली शिकायत दर्ज की। उसके बाद, धारा-164 के तहत उसका बयान भी दर्ज किया गया। राज्य के महाधिवक्ता ने इस मामले में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, और पूरी प्रक्रिया उनकी निगरानी में पूरी की गई। इडी के पास इससे संबंधित सबूत हैं। महाधिवक्ता राज्य के मुख्य विधि पदाधिकारी होते हैं, लेकिन वे याचिकाकर्ता अभियुक्त (हेमंत सोरेन) के पक्ष में न्यायालय में मौजूद होकर दलील पेश करते हैं।
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