रांची में आरएसएस की तीन दिन की बैठक चल रही है। प्रांत प्रचारक की बैठक के दूसरे दिन कई महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा हुई। इस अवसर पर देश की सभी अभावग्रस्त बस्तियों में सेवा कार्य प्रारंभ करने का निर्णय लिया गया है। बैठक का स्थान रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में है। इसमें देश की वर्तमान परिस्थिति पर भी चर्चा हुई।
रांची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने फैसला लिया है कि देश की सभी गरीब बस्तियों में सेवा कार्य शुरू किया जाएगा। संघ ने इस कार्य में अपनी सभी शाखाओं के साथ-साथ सभी संविदानसभा, सेवा भारती और अन्य सहायक संगठनों को भी जुटाने का निर्णय लिया है।
रांची के सरला बिरला विश्वविद्यालय परिसर में चल रही आरएसएस की तीन दिवसीय प्रांत प्रचारक बैठक के दूसरे दिन सेवा, संपर्क और बौद्धिक कार्यविभाग सहित कई मुद्दों पर चर्चा की गई। संघ और संविचारी संगठनों द्वारा देश भर में अब तक एक लाख 35 हजार से अधिक सेवा कार्य चलाए जा रहे हैं।
आज (रविवार) शाम को छह बजे बैठक होगा समाप्त।
हालांकि, संघ ने अपने शताब्दी वर्ष तक सभी आवश्यकता प्रमंडित बस्तियों के साथ-साथ 5000 से अधिक जनसंख्या वाले गांवों में वंचित, उपेक्षित और अभावग्रस्त लोगों तक शिक्षा, स्वावलंबन, स्वास्थ्य और सामाजिक संस्कार पहुंचाने का लक्ष्य निश्चित किया है।
इस कार्य को बढ़ाने की योजना के तहत सभी शाखाओं को अपने आसपास की बस्तियों में से किसी को सेवा कार्य शुरू करने के लिए चुनने के लिए कहा गया है। इस कार्य में विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों का भी सहयोग लिया जाएगा।
बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत, सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले सहित सभी सह सरकार्यवाह, अखिल भारतीय कार्यकारिणी के सभी सदस्य, क्षेत्र प्रचारक, प्रांत प्रचारक और उनके सहयोगी शामिल हैं। रविवार शाम को छह बजे बैठक समाप्त होगी।
पंच उपक्रम पर हुई चर्चा
संघ ने अपने शताब्दी वर्ष तक पंच उपक्रम को शाखा स्तर से लेकर सामाजिक जीवन तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया है। इस प्रोग्राम में सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, कुटुंब प्रबोधन, नागरिक कर्तव्य और स्वदेशी भाव को मुख्य धारा में लाया गया है। बैठक में इस पंच उपक्रम को लेकर समाज की सामाजिक शक्ति को जोड़कर समाजिक परिवर्तन के लिए कैसे काम किया जा सकता है, उस पर विचार किया गया।
संघ का मानना है कि संविधान के 75 वर्ष पूरे होने जा रहे हैं, लेकिन आज भी अधिकांश लोग सिर्फ अधिकार के बारे में बात करते हैं, और उन्हें अपने कर्तव्यों की महत्वपूर्णता याद दिलाने की आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण को बढ़ाने के अभियान में अधिक से अधिक सामाजिक संगठनों को जोड़ने की भी जरूरत है। बैठक में देश की वर्तमान परिस्थितियों पर भी विचार किया गया।
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