सिर्फ 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार हुए पथ निर्माण विभाग जमशेदपुर के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा की गिरफ्तारी का मामला अब आलमगीर आलम की गिरफ्तारी तक पहुंच गया है। 2019 में एसीबी जमशेदपुर में दर्ज कांड में कोर्ट में 11 जनवरी 2020 को पथ निर्माण विभाग के पूर्व कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा और उनके रिश्तेदार वीरेंद्र राम पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल की गई थी।
सिर्फ 10 हजार रुपये की रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार हुए पथ निर्माण विभाग जमशेदपुर के कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा की गिरफ्तारी का मामला अब मंत्री आलमगीर आलम की गिरफ्तारी तक पहुंच गया है।13 नवंबर 2019 को एसीबी जमशेदपुर में दर्ज कांड में एसीबी जमशेदपुर ने 11 जनवरी 2020 को कोर्ट में पथ निर्माण विभाग के पूर्व कनीय अभियंता सुरेश प्रसाद वर्मा और उनके रिश्तेदार वीरेंद्र राम पर फाइनल रिपोर्ट दाखिल की थी।
इसी के आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर किया था। इसके बाद ईडी ने टेंडर कमीशन घोटाले का बड़ा मामला पकड़ा और 23 फरवरी 2023 को ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को किया गया था गिरफ्तार।
ईडी की छानबीन में मिले तथ्यों और सूचनाओं के आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने तीन मार्च 2023 को कांड संख्या 22/2023 दर्ज की थी। इसमें एएफआईआर वीरेंद्र कुमार राम, मुकेश मित्तल और अन्य अज्ञात पर दर्ज हुई थी। इसमें बंद हो चुके भारतीय नोट की बरामदगी से संबंधित धाराएं भी लगी थीं। ईडी ने उन सभी कांडों को अपने ईसीआइआर में जोड़ दिया था।
छानबीन के बाद ईडी ने 21 अप्रैल 2023 को वीरेंद्र राम, आलोक रंजन, राजकुमारी, और गेंदा राम के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद 20 अगस्त 2023 को ईडी ने मुकेश मित्तल, तारा चंद, नीरज मित्तल, रामप्रकाश भाटिया, हरिश यादव, और हृदया नंद तिवारी के खिलाफ और भी आरोप पत्र दाखिल किया था।
छानबीन के दौरान पता चला कि वीरेंद्र राम टेंडर के बदले में 1.5 प्रतिशत का कमीशन लेते थे। इस कमीशन की राशि वरिष्ठ अधिकारियों और नेताओं में बांटी जाती थी।
ईडी ने इस मामले में 21 फरवरी 2023 और 27 फरवरी 2023 को तीस जगहों पर छापेमारी की, जिसमें नकद, जेवरात, गाड़ियां, और अवैध दस्तावेज़ मिले थे। ये सभी वीरेंद्र राम से संबंधित थे, जिन्हें उन्होंने अवैध तरीके से प्राप्त किया था। ईडी ने वीरेंद्र राम के पास सवा सौ करोड़ की संपत्ति का पता लगाया था।
मंत्री के नाम पर पीए वसूला जाता था कमीशन
ईडी ने छानबीन में पाया है कि ग्रामीण विकास विभाग में मंत्री आलमगीर आलम के नाम पर उनके निजी सचिव संजीव लाल ने टेंडर में कमीशन वसूला।
कमीशन की राशि वसूलने के लिए संजीव लाल ने अपने घरेलू नौकर जहांगीर आलम को लगाया था, जो रुपयों को अपनी स्कूटी से झोले में भरकर अपने हरमू रोड स्थित फ्लैट में ले जाता था।
छानबीन में ईडी को यह जानकारी मिली थी कि वीरेंद्र राम और अन्य इंजीनियरों ने भी संजीव लाल को टेंडर कमीशन में करोड़ों रुपये दिए थे। सिंहमोड़ हटिया के एक ठेकेदार राजीव सिंह ने संजीव लाल तक कमीशन के दस करोड़ रुपये पहुंचाए थे।
दस दिनों में इन कहां से कितने रुपये हुए बरामद?
- मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घर से 32.20 करोड़ रुपये बरामद हुए।
- संजीव लाल के करीबी बिल्डर मुन्ना सिंह के घर से 2.93 करोड़ रुपये बरामद हुए।
- सहयोगी ठेकेदार राजीव सिंह के सिंहमोड़ हटिया स्थित आवास से 2.14 करोड़ रुपये बरामद हुए।
- संजीव लाल के एक अन्य ठिकाने से 10 लाख रुपये बरामद हुए।
- संजीव लाल के प्रोजेक्ट भवन स्थित कार्यालय से 1.75 लाख रुपये नए नोट व 28 हजार रुपये के पुराने नोट बरामद हुए।
नौकर के फ्लैट से प्राप्त हुए हैं मंत्री से की गई अनुशंसा के पत्र
मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल के घर के नौकर जहांगीर आलम के फ्लैट से लेकर मंत्री द्वारा की गई अनुशंसा से संबंधित डॉक्यूमेंट्स और गोपनीय पत्रों की बरामदगी ईडी ने हाल ही में की थी।
जहांगीर के आवास से भी वह पत्र बरामद किया गया था, जिसे ईडी ने झारखंड सरकार के मुख्य सचिव को भेजा था। इस पत्र में ग्रामीण कार्य विभाग के पूर्व मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम और अन्य अधिकारियों के खिलाफ छानबीन से मिले तथ्यों की बात की गई थी।
ईडी ने राज्य सरकार को इस छानबीन के मिले तथ्यों की सूचना देने के लिए मुख्य सचिव को लिखा था, ताकि टेंडर कमीशन घोटाले में शामिल अधिकारियों पर सरकारी स्तर पर कार्रवाई की जा सके।
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