हेमंत सोरेन: ‘जब हेमंत का जन्म ही 1975 में हुआ तो…’, हाईकोर्ट में आई सबसे चौंकाने वाली घटना

Shivani Gupta
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हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट की उच्च वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विनोद सिंह के वॉट्सऐप चैट में जिस 8.86 जमीन पर बैंकवेट हॉल बनाने की बात कही जा रही है, वह उस जमीन का नहीं है।

रांची में, झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में भूमि घोटाला मामले में आरोपित पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान, ईडी की वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। इसे पीएमएलए एक्ट के तहत मनी लॉन्ड्रिंग कहा जा रहा है। हेमंत सोरेन भूमि घोटाला के सबसे बड़े लाभार्थी हैं और वे काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

ईडी ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने आप को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का इस्तेमाल किया। अगर उन्हें जमानत मिलती है, तो वे जांच में बाधा डाल सकते हैं। उन्हें जमानत देने का सुझाव नहीं दिया जाएगा। हेमंत सोरेन ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।

ईडी ने कहा कि बड़गाईं पर बैंकवेट हॉल बनाने की योजना थी। आर्किटेक्ट विनोद सिंह ने नक्शा बनाकर हेमंत सोरेन के मोबाइल पर भेजा था। विनोद सिंह ने सर्वे के दौरान बड़गाईं पर जमीन की पहचान की थी। हिलेरियस कच्छप ने भी हेमंत सोरेन को इस जमीन पर अवैध कब्जा करने में मदद की थी। इस जमीन पर हिलेरियस ने ही अपने नाम पर बिजली कनेक्शन लिया था और इस जमीन को घेराबंदी भी कराई थी।

हेमंत का जन्म 1975 में हुआ और जमीन सौदा…

हेमंत सोरेन: ‘जब हेमंत का जन्म ही 1975 में हुआ तो…’, हाईकोर्ट में आई सबसे चौंकाने वाली घटना

हेमंत सोरेन की ओर से सुप्रीम कोर्ट की उच्च वकील मीनाक्षी अरोड़ा ने अदालत को बताया कि यह मामला मनी लॉन्ड्रिंग का नहीं, बल्कि राजनीतिक प्रतिशोध का है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी के दुरुपयोग किया गया है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विनोद सिंह के वॉट्सऐप चैट में जिस 8.86 जमीन पर बैंकवेट हॉल बनाने की बात कही जा रही है, वह उस जमीन का नहीं है।

रांची में, झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय की अदालत में भूमि घोटाला मामले में आरोपित पूर्व सीएम हेमंत सोरेन की जमानत याचिका की सुनवाई हुई। दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद, अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया।

सुनवाई के दौरान, ईडी की वरीय अधिवक्ता एसवी राजू ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अनधिकृत रूप से 8.86 एकड़ जमीन पर कब्जा किया है। इसे पीएमएलए एक्ट के तहत मनी लॉन्ड्रिंग कहा जा रहा है। हेमंत सोरेन भूमि घोटाला के सबसे बड़े लाभार्थी हैं और वे काफी प्रभावशाली व्यक्ति हैं।

ईडी ने कहा कि हेमंत सोरेन ने अपने आप को बचाने के लिए राज्य के अधिकारियों का इस्तेमाल किया। अगर उन्हें जमानत मिलती है, तो वे जांच में बाधा डाल सकते हैं। उन्हें जमानत देने का सुझाव नहीं दिया जाएगा। हेमंत सोरेन ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया।

ईडी ने कहा कि बड़गाईं पर बैंकवेट हॉल बनाने की योजना थी। आर्किटेक्ट विनोद सिंह ने नक्शा बनाकर हेमंत सोरेन के मोबाइल पर भेजा था। विनोद सिंह ने सर्वे के दौरान बड़गाईं पर जमीन की पहचान की थी। हिलेरियस कच्छप ने भी हेमंत सोरेन को इस जमीन पर अवैध कब्जा करने में मदद की थी। इस जमीन पर हिलेरियस ने ही अपने नाम पर बिजली कनेक्शन लिया था और इस जमीन को घेराबंदी भी कराई थी।

हेमंत का जन्म 1975 में हुआ और जमीन सौदा…

कोर्ट को यह भी बताया गया कि हेमंत सोरेन का जन्म वर्ष 1975 में हुआ और इस भूमि की खरीद-बिक्री 1970 के आसपास ही हो गई थी। भानू प्रताप के पास से जो दस्तावेज बरामद हुए थे, उसमें हेमंत सोरेन का कहीं भी नाम नहीं था। जिस जमीन की बात की जा रही है, उसका एक भी टुकड़ा भी हेमंत सोरेन के नाम पर नहीं है। यह केस पूरी तरह बेबुनियाद है। हेमंत सोरेन को जमानत की सुविधा मिलनी चाहिए।

दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। सुनवाई के दौरान हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन भी कोर्ट रूम में मौजूद थीं। बता दें कि हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को गिरफ्तार किया था।

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