रामाशिशु अस्पताल के प्रशासन पर स्वास्थ्य विभाग की सुरक्षा धारिता पर नजरें, झारखंड हाई कोर्ट की टिप्पणी

Shivani Gupta
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झारखंड हाई कोर्ट में आज रामाशिशु अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए याचिका पर सुनवाई हुई। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने राज्य के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया। अदालत ने टिप्पणी करते हुए कहा कि अस्पताल की चिकित्सा सेवाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकारी विभाग ध्यान नहीं दे रहे हैं।

रांची। झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस दीपक रोशन ने रिम्स के चिकित्सा सेवाओं में सुधार के लिए एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। इस सुनवाई में अदालत ने राज्य के अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाया।

अदालत ने कहा कि लगता है रिम्स के प्रबंधन में स्वास्थ्य विभाग को दिलचस्पी नहीं है और ब्यूरोक्रेट्स की कार्यशैली से रिम्स की मूल संरचना में सुधार नहीं हो पा रहा है। ऐसे में रिम्स को बंद कर देना चाहिए। अदालत ने नाराजगी जताते हुए शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव, रिम्स के निदेशक और झारखंड भवन निर्माण निगम के एमडी को समय पर हाजिर होने का आदेश दिया।

रामाशिशु अस्पताल की व्यवस्था विशेष है – हाईकोर्ट

अदालत ने कहा कि रामाशिशु अस्पताल की कार्यप्रणाली अलग है। यहां वीआईपी कल्चर भारी है। सामान्य मरीजों को बेड नहीं मिल पा रहे हैं। उन्हें जमीन पर इलाज कराया जा रहा है जबकि वीआईपी मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था होती है। रामाशिशु अस्पताल के चिकित्सा उपकरण बहुत पुराने हैं और उनकी देखभाल भी नहीं हो रही है।

रामाशिशु अस्पताल को बहुत ही खराब रखा जा रहा है, जिसके कारण निजी अस्पताल और नर्सिंग होम फल-फूल रहे हैं। रामाशिशु अस्पताल से अनुमति प्राप्त करने के बाद भी चिकित्सक निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में काम कर रहे हैं, यह एक बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।

रामाशिशु अस्पताल की हालत में सुधार के लिए पहल शुरू की गई है – निदेशक

सुनवाई के दौरान रामाशिशु अस्पताल के निदेशक कोर्ट में मौजूद थे। उन्होंने बताया कि उनकी ओर से अस्पताल की स्थिति सुधारने के लिए कई पहल की जा रही हैं, लेकिन अधिकारियों की दखलंदाजी के कारण अस्पताल बेहतर नहीं हो पा रहा है। अस्पताल में सुधार के लिए कई प्रस्ताव विभाग को भेजे गए हैं, जो अभी भी लंबित हैं।

निदेशक ने बताया कि अस्पताल में करीब 2600 बेड हैं। प्रतिदिन अस्पताल में लगभग 2500 मरीज झारखंड के विभिन्न जिलों और पड़ोसी राज्यों से आते हैं। इसलिए बेड की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है। अस्पताल की गर्वनिंग बाडी साल में केवल एक-दो बार ही होती है, इसलिए अस्पताल के लिए बड़े फैसले करना मुश्किल होता है।

रामाशिशु अस्पताल में 148 स्थानों पर अतिक्रमण हुआ है – निदेशक

रामाशिशु अस्पताल के निदेशक ने बताया कि एक करोड़ से अधिक रुपये खर्च करने के लिए अस्पताल की गवर्निंग बॉडी की मंजूरी जरूरी होती है, लेकिन बैठक कम होने से खराब हो गए मेडिकल उपकरण को बदलने की प्रक्रिया लंबी हो जाती है, जिससे उनकी स्थिति सालों से खराब रहती है। रामाशिशु अस्पताल के परिसर में 148 स्थानों पर अतिक्रमण हुआ है, जिसे हटाना आवश्यक है। यह बात ज्ञात हो कि इस मामले में ज्योति कुमार ने हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की है।

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