झारखंड की साइबर पुलिस ने रांची की एनआरआइ महिला से 29 लाख 94 हजार रुपये की साइबर ठगी मामले के मास्टरमाइंड को असम से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी फरहादुर रहमान है। उन्होंने पुलिस को बताया कि वे सीधे चीनी साइबर अपराधियों से संपर्क में थे। रोजाना वे वीडियो कॉल के माध्यम से उनसे बात करते थे और साइबर ठगी के लिए निर्देश भी देते थे।
रांची। सीआईडी द्वारा संचालित साइबर अपराध थाने की पुलिस ने रांची के डोरंडा में रहने वाली एनआरआइ महिला से 29 लाख 94 हजार रुपये की साइबर ठगी के तीसरे आरोपी और मास्टरमाइंड को असम से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपी फरहादुर रहमान, जिसे तंजीम भी कहते हैं, असम के धुबरी जिले के मदौतरी गांव में रहता है।
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के इंडियन साइबर क्राइम को-आर्डिनेशन सेंटर और असम पुलिस की सहायता से उसे गिरफ्तार किया है। उसके पास से कांड में प्रयुक्त दो मोबाइल, तीन सिमकार्ड और कॉरपोरेट इंटरनेट बैंकिंग के क्रेडेंशियल व साइबर ठगी से संबंधित वाट्सएप चैट बरामद किए गए हैं।
उसने पुलिस को बताया है कि वह चीनी साइबर अपराधियों के सीधे संपर्क में था और रोजाना वीडियो कॉल पर उनसे बातचीत करता था और उनसे निर्देश लेता था।
उसके चीनी सहयोगी इंडोनेशिया, हांगकांग और ताइवान में बैठे हुए थे, जिनसे वह भारतीय बैंक खाता और अन्य गोपनीय जानकारी साझा करता था और साइबर ठगी में सहायता प्रदान करता था। उसे इसके बदले कमीशन मिलता था, जो क्रिप्टोकरेंसी में मिलता था।
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने पहले दिल्ली के छावला थाना, इ. एक्सटेंशन श्याम विहार के निवासी रवि शंकर द्विवेदी और हरियाणा के कैथल जिले के रजौंद थाना क्षेत्र के संतोख माजरा के निवासी वीरेंद्र को गिरफ्तार किया था।
इन देशों में पाया गया वेबसाइट का आईपी पता
साइबर अपराध थाने की पुलिस ने पहले दर्ज प्राथमिकी के बाद पूरी घटना की जांच की। जिस वेबसाइट पर पीड़िता के नाम से अकाउंट बनाया गया था, उसका आईपी एड्रेस एम्सटर्डम, नीदरलैंड, सिंगापुर, चीन और जापान से पाया गया।
वित्तीय जाँच में फर्जी कंपनी के नाम से पंजीकृत बैंक खाते दिल्ली, गुजरात, मध्य प्रदेश आदि में मिले। इन खातों से करोड़ों रुपये की लेन-देन हुई थी।
जांच में पाया गया कि इन बैंक खातों से हुए ट्रांजेक्शन के यूजर का मूल स्थान हांग कांग और चीन में था। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए सभी बैंक खातों में कुल नौ लाख 36 हजार रुपये को फ्रीज करवा दिया।
जांच में जो हुआ खुलासा
साइबर अपराध पुलिस की जांच में यह स्पष्ट हुआ कि एमएसएमइ और जीएसटी पंजीकरण के नाम पर बैंक खाता खोलने के लिए फर्जी पते पर लिए गए सिमकार्ड का उपयोग किया जाता था।
बैंक खाते खोलने वाले अंड्रॉयड ऐप्स, खाता एजेंट्स, फेसबुक पेज, टेलीग्राम प्रोफाइल और व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से उन्हें मिलते थे और ये चीनी साइबर अपराधियों के साथ साझा कर दिए जाते थे।
बैंक खातों के महत्वपूर्ण जानकारी जैसे एसबीआई2आईडी, 3आईडी, कोटक बैंक के सीएमएस, इंडसइंड बैंक के एमक्यूआर, वीओआई के एमक्यूआर और सोशल मीडिया पर प्रकाशित किया जाता था, जिसे ठगी के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
जांच में आरोपी यह बताते हैं कि आधार, पैनकार्ड, जीएसटी रजिस्ट्रेशन और उद्यम पंजीकरण के नाम पर विभिन्न बैंकों में प्रोपराइटरशिप फर्म के कारपोरेट बैंक खाते खोलने के लिए इस्तेमाल किया गया था।
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