झारखंड के लोकायुक्त कार्यालय का हाल पिछले तीन सालों से बहुत खराब है। यहाँ पर कर्मचारी और अधिकारी तीन सालों से नियमित रूप से कार्यालय आ रहे हैं, लेकिन उनका काम नहीं हो रहा है। इस कार्यालय के रख-रखाव के लिए हर महीने लगभग 20 लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। पिछले तीन सालों से किसी भी नए लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं हुई है।
रांची में एक ऐसा कार्यालय है जहां पिछले तीन सालों में कोई नया काम नहीं हुआ है। कोई नई फाइल नहीं खोली गई, किसी की कलम भी नहीं चली है, लेकिन कार्यालय प्रत्येक दिन समय पर खुलता और समय पर बंद होता है।
जी हां, यह बात लोकायुक्त कार्यालय की है। यहां के कर्मचारी और अधिकारी तीन साल से नियमित रूप से कार्यालय आते हैं, लेकिन उनका कोई काम नहीं होता। महीने के अंत में उनके खाते में वेतन आ जाता है, लेकिन उन्होंने किसी काम को नहीं किया होता।
तीन साल पहले पूर्व लोकायुक्त का हो गया था निधन
तीन साल पहले जून 2021 में झारखंड के पूर्व लोकायुक्त जस्टिस डीएन उपाध्याय को कोरोना से निधन हो गया था। उसके बाद, लोकायुक्त के सचिव ने अपने स्तर से फाइलों का संबोधन किया।
आने वाली शिकायतों पर जवाब देने के लिए, राज्य सरकार की तत्कालीन कार्मिक सचिव वंदना दादेल ने लोकायुक्त कार्यालय को एक पत्र भेजा और सरकार के उस निर्णय को सूचित किया, जिसमें लिखा था कि नए लोकायुक्त की नियुक्ति होने तक कार्यालय में कोई काम नहीं होगा।
भ्रष्टाचार के खिलाफ कोई नहीं हो रहा है काम
अब स्थिति यह है कि यहाँ भ्रष्टाचार के खिलाफ शिकायतें तो आती हैं, पर कोई कार्य नहीं होता। इस कार्यालय में अब 2000 से अधिक शिकायतों की फाइलें लंबित हो चुकी हैं।
अब लोग अपनी शिकायतों की स्थिति जानने के लिए रिमाइंडर भेजते हैं, पर उन्हें जवाब मिलता है कि जब तक लोकायुक्त नहीं आते, फाइलें आगे नहीं बढ़ सकती हैं।
नेता प्रतिपक्ष बनने के बाद भी लोकायुक्त की नियुक्ति को लेकर कोई सक्रियता नहीं हुई
राज्य में लोकायुक्त के नहीं होने का मामला हाई कोर्ट में भी पहुंचा था। हाई कोर्ट में पहले राज्य सरकार ने शपथ पत्र दाखिल किया और नेता प्रतिपक्ष नहीं होने का हवाला दिया। अब भी नेता प्रतिपक्ष बन चुका है लेकिन छह माह से अधिक हो चुका है।
हाई कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने जल्दी से राज्य में लोकायुक्त, सूचना आयुक्त सहित खाली पड़े सभी पदों को भरने का आश्वासन दिया है, लेकिन इसके अनुरूप कोई सक्रियता नहीं दिख रही है।
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