AC का तापमान 18 और बाहर 44 डिग्री, शरीर कैसे करेगा बर्दाश्त? दिमाग पर असर और भी कई खतरे

Anil kumar
4 Min Read
Image Source: Google/Image Edited By Canva

देश के कई हिस्सों में गर्मी बहुत ज्यादा है। लोग राहत पाने के लिए एयर कंडीशनर का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसके कई नुकसान हैं। एसी का तापमान 18 डिग्री और बाहर का तापमान 44 डिग्री है। इस 26 डिग्री के अंतर को शरीर कैसे सहन करेगा? इससे कई तरह की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।

जमशेदपुर। एयर कंडीशन (एसी) का इस्तेमाल करने से भी नुकसान हो सकते हैं। गर्मियों में शहरवासी 12 से 15 घंटे तक एसी के पास बैठे रहते हैं, जहां तापमान 18 डिग्री सेल्सियस होता है, जबकि शहर का तापमान 44 डिग्री सेल्सियस होता है। इससे शरीर को अचानक 26 डिग्री का अंतर सहन करना पड़ता है, जो सोचने वाली बात है।

एयर कंडीशनर से बाहर धूप में जाना खतरनाक

इस दौरान अगर कोई एयर कंडीशनर से बाहर धूप में निकलता है, तो उसे कई तरह की बीमारियों का खतरा होता है। इसका ब्रेन पर भी असर पड़ता है। इस समय मरीज को सिरदर्द के साथ-साथ थकावट, बेचैनी, घबराहट, और पेशाब कम होने की शिकायत होती है।

एयर कंडीशनर में लंबे समय तक रहने से शरीर में निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है। साथ ही इससे आंखों, सांस की समस्याएं और मेटाबॉलिक सेहत पर भी नकारात्मक प्रभाव हो सकता है। चर्म रोगों की समस्याएं भी बढ़ सकती हैं।

शहर में ‘सिक बिल्डिंग सिंड्रोम’ का खतरा

ब्रह्मानंद नरायणा अस्पताल के न्यूरो फिजिशियन डॉ। अरुण कुमार कहते हैं कि लोग एसी तो लगाते हैं, लेकिन उन्हें इसके सही तरीके का पता नहीं होता है। उन्होंने कहा कि एसी वाली जगहों पर वेंटिलेशन, अर्थात हवा के आने-जाने की अच्छी व्यवस्था भी जरूरी होनी चाहिए।

एयर कंडीशनर में रहने से बढ़ी ये बीमारियाँ

शहर के अस्पतालों में इन दिनों मरीजों की संख्या बढ़ गई है। इसमें दो प्रकार के मरीज सबसे अधिक हैं। पहले, जो गर्मी के कारण, यानी हीट स्ट्रोक से प्रभावित हो रहे हैं, और दूसरे, जो एयर कंडीशनर में लंबे समय तक रहने से आने वाली बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।

इनमें वायरल इंफेक्शन, गले में खराश, सर्दी-खांसी, बुखार, और बदन दर्द शामिल हैं। मौसम में उतार-चढ़ाव की वजह से भी ये परेशानी होती है।

इन दिनों ओपीडी में इससे संबंधित मरीजों की सबसे अधिक पहुंच है। बुधवार को एमजीएम अस्पताल के मेडिसिन ओपीडी में कुल 128 मरीज पहुंचे। उनमें से 98 मरीज इससे संबंधित हैं।

अस्थमा-ब्रोंकाइटिस मरीजों को एयर कंडीशनर में नहीं रहने की सलाह

एमजीएम मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रोफेसर और फिजिशियन डॉ। आरएल अग्रवाल कहते हैं कि वे लोग जो बारिशीले या ठंडे स्थानों में ज्यादा समय बिताते हैं, उनमें अन्य लोगों की तुलना में श्वास-संबंधी समस्याएं (नाक में जलन, सांस लेने में परेशानी) अधिक होती हैं।

एयर कंडीशनर की हवा वातावरण में शुष्कता बढ़ाती है, जिससे वायुमार्ग से जुड़ी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। अस्थमा-ब्रोंकाइटिस की समस्या से पीड़ित लोगों को एयर कंडीशनर में अधिक समय बिताने से बचना चाहिए।

यह भी पढ़े:

Share this Article
Follow:
मेरा नाम Kumar Anil है और मैं झारखण्ड के बोकारो जिले का निवासी हूँ। मैंने 2023 में कंटेंट राइटिंग की शुरुवात किया था। मुझे झारखण्ड के लोकल न्यूज़ पढ़ना और उनके बारे लिखने का शौक है।
Leave a comment