चुनाव के लिए दिल्ली और गुजरात से लाए जा रहे पोस्टर और बैनर, व्यवसाय 80 फीसदी तक गिरा।

Anil kumar
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लोकसभा चुनाव के बहाने दिल्ली और गुजरात से प्रचार सामग्रियाँ आई हैं। इससे शहर के प्रिंटिंग प्रेस में गड़बड़ी हो गई है। व्यवसाय का करीब 70 से 80 प्रतिशत गिरावट हो गई है। करीब 20 प्रिंटिंग एजेंसियाँ बंद हो रही हैं क्योंकि बड़ी-बड़ी पार्टियों के प्रत्याशी यहाँ से पोस्टर और बैनर छपवा रहे हैं। इससे स्थानीय दुकानदारों का गुस्सा है।

रांची। 2024 के झारखंड लोकसभा चुनाव: यहाँ राजनीतिक पार्टियों में बहुत हलचल है। पार्टियों के उम्मीदवारों को लोकप्रिय बनाने के लिए शहर में 20 प्रिंटिंग एजेंसियाँ धूल फूंक रही हैं। हमारे सफेद-पोश वोकल फॉर लोकल के बारे में बात होती है, लेकिन प्रचार प्रसार की सामग्रियों के लिए कारपोरेट कल्चर का भी इस्तेमाल हो रहा है।

शहर में प्रिंटिंग प्रेस के व्यापार में हुई भारी गिरावट

प्रचार प्रसार की सामग्री तैयार करने वाली एजेंसियों का कहना है कि इस उद्योग में गिरावट 2019 से शुरू हुई है। इंटरनेट मीडिया और डिजिटल शेयरिंग ग्रुप ने प्रिंटिंग प्रेस के व्यवसाय को प्रभावित किया है। इसके कारण शहर में पोस्टर, बैनर और प्रचार प्रसार सामग्रियों का व्यापार 70 से 80 प्रतिशत तक गिर गया है।

यह स्थिति लोकसभा और विधानसभा चुनाव में अधिक देखने को मिलती है, पर मुखिया चुनाव में ऐसा नहीं होता है। आमतौर पर मुखिया चुनाव के समय ग्रामीण क्षेत्रों से आए प्रत्याशी लोकल एजेंसियों के माध्यम से ही प्रचार सामग्री की शुरुआत कराते हैं, जिससे इनका व्यवसाय मुनाफे में रहता है।

लेकिन इस लोकसभा चुनाव में बड़ी पार्टियां जैसे भाजपा, कांग्रेस के उम्मीदवारों के द्वारा दिल्ली से या फिर गुजरात से ही प्रिंटिंग आर्डर कराने का असर शहर के प्रिंटिंग प्रेस वालों पर देखा जा रहा है।

शहर के प्रिंटिंग प्रेसों में है सन्नाटा

कुछ प्रिंटिंग प्रेस वालों ने नाम नहीं छापने की शर्त रखी है। वे कहते हैं कि लोकल प्रत्याशियों, मुद्दों और प्रिंट मैटेरियल को दिल्ली से मंगाया जा रहा है। इससे शहर के प्रिंटिंग प्रेस में सन्नाटा है। सिर्फ कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों द्वारा इन्हें ऑर्डर प्राप्त हुए हैं, जो उनके व्यवसाय के लिए नाकाफी हैं।

कचहरी चौक स्थित एक प्रिंटिंग प्रेस के संचालक संजय कुमार साहा कहते हैं कि हम जो सुविधा दिल्ली में प्राप्त करते हैं, हम उसे फॉलो करते हैं, लेकिन फिर भी हमें ऑर्डर नहीं मिलता है।

चुनाव में कम ऑर्डर मिलने के कारण, बैनर बनाने के पहले 25 रुपये प्रति स्क्वायर फीट मिलता था, जो अब 10 से 12 रुपये प्रति स्क्वायर फीट पहुंच गया है|

दिल्ली और गुजरात से वोट मांगने वाले रांची में करते हैं काम

प्रिंटिंग प्रेस एजेंसियों के मालिकों का कहना है कि हम लोकसभा और विधानसभा के प्रत्याशियों के काम को दिल्ली और गुजरात में करते हैं, और फिर उन्हें रांची में वोट मांगते हैं। अगर हमें यहाँ काम मिलेगा, तो हम पैसा यहाँ ही खर्च करेंगे, और कहीं नहीं जाएंगे। पर सारा पेंच पार्टी के मुख्यालयों में जाता है।

वहीं से दिल्ली की बड़ी एजेंसियों को सभी काम मिल जाता है, जैसे डिजाइनिंग और प्रिंटिंग ऑर्डर। कचहरी रोड के प्रिंटिंग प्रेस के मालिकों ने कहा कि हम भी वही क्वालिटी नहीं दे सकते जो दिल्ली और गुजरात में मिलती है।

हमारे यहाँ बहुत से ग्राहक हैं जो बंगाल, ओडिशा, और त्रिपुरा से आते हैं और यहाँ से ही ऑर्डर देते हैं। शहर में कुछ ऐसी भी एजेंसियां हैं जो चुनाव प्रचार सामग्रियों के ऑर्डर तक नहीं लेती हैं।

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मेरा नाम Kumar Anil है और मैं झारखण्ड के बोकारो जिले का निवासी हूँ। मैंने 2023 में कंटेंट राइटिंग की शुरुवात किया था। मुझे झारखण्ड के लोकल न्यूज़ पढ़ना और उनके बारे लिखने का शौक है।
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