सोमवार, यानी 1 जुलाई से देशभर में तीन नए आपराधिक कानून लागू हो गए हैं, जिसके कारण इन धाराओं में परिवर्तन हो गया है। पहले अक्सर फिल्मों में जज साहब कोर्ट रूम में मुजरिमों को दफा 302 के तहत उम्रकैद या फांसी की सजा सुनाने का डायलॉग बोलते थे। हालांकि एक जुलाई से नए कानून के प्रभाव से इस बात का प्रासंगिकता खत्म हो गई है।
सख्त घटनाओं में बदली गई प्रमुख रुझानें
गंभीर घटनाओं में संशोधित नियमों में बड़ा बदलाव किया गया है। लेकिन जो मामले इस कानून के लागू होने से पहले दर्ज हो चुके हैं, उनका निपटारा पुराने कानूनों के अनुसार ही होगा। लोगों के लिए यह कानून फायदेमंद है।
क्योंकि पुराने भारतीय दंड विधान कानून को अब नए भारतीय न्याय संहिता कानून में बदल दिया गया है। इसलिए भोजपुर जिले में तीन चरणों में लगभग साढ़े सात सौ अफसरों को प्रशिक्षण दिया गया है।
नए आपराधिक कानून – भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम को 25 दिसंबर, 2023 को लागू किया गया था। इन तीन कानूनों ने ब्रिटिश काल की भारतीय दंड संहिता, दंड प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह ले ली हैं।
नए कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव किए गए
भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं हैं, जबकि पहले आइपीसी में 511 थीं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं हैं, जबकि पहली में 484 थीं। भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं हैं, जो पहले के कानून से थोड़ी अधिक हैं।
नए कानून में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं। इसमें राजद्रोह को हटा दिया गया है, लेकिन सशस्त्र क्रांति, विध्वंसक गतिविधियों और अलगाववादी कार्यों के कारण होने वाले राजद्रोह को अभी भी अपराध माना जाएगा।
अब नहीं चलेगा पुराना ‘420’ वाला जुमला
पहले किसी भी धोखाधड़ी करने वाले व्यक्ति को लोग आमतौर पर ‘420’ कहते थे। यह शब्द बहुत प्रसिद्ध था। लेकिन अब नए कानून के अनुसार, धोखाधड़ी की आइपीसी धारा में बदलाव हुआ है। अब नए कानून के तहत, इसे 318 (4) अधिनियम के तहत प्राथमिकी माना जाएगा।
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